Saturday, December 19, 2020

GUJARATI GEET(आकाश गंगा) COLLECTION BY ARUNA KUMARI

                                                                    गुजराती गीत 


आकाश गंगा सूर्य चन्द्र तारा, 

संध्या उषा कोई ना नथी |

कोनि  भूमि कोनि नदी कोनि सागर धारा - 2

भेद केवल शब्द अमारा ने तमारा |

                                    एज हास्य, एज रूदन, आश ए निराशा, आS,आS,आS,आS - 2 

एज मानव उर्मि, पण भिन्न भाषा |

आकाश गंगा ..........................

                                                         
                                                          मेधधनु अन्दर ना होय कदी जंगी,

सुन्दरता काज वन्या विविध रंगों|

आकाश गंगा ...........................


VIDEO LINK FOR THIS SONG:::::::::

https://youtu.be/YbvHAZCOMfE

 

:::::::::: सरल अर्थ :::::::::

आकाश गंगा सूर्य चन्द्र तारा, संध्या उषा कोई ना नथी
(आकाशगंगा,सूर्य,चाँद,सितारे,संध्या तथा उषाकाल  किसी व्यक्ति विशेष के नहीं ,बल्कि सबके सांझे  है|)

कोनि  भूमि कोनि नदी कोनि सागर धारा,भेद केवल शब्द अमारा ने तमारा
(यह धरती,नदियाँ तथा सागर किसके हैं? भेद केवल 'हमारा'  'तुम्हारा' आदि शब्दों के कारण है|)

  एज हास्य, एज रूदन, आश ए निराशा, एज मानव उर्मि, पण भिन्न भाषा
(हंसना,रोना,आशाएं तथा निराशाएं सब में एक-सी हैं| मानवीय भावनाएं हमेशा सामान हैं,केवल भाषाएँ अलग-अलग हैं|)

मेधधनु अन्दर ना होय कदी जंगी, सुन्दरता काज वन्या विविध रंगों
(इन्द्रधनुष के रंगों में कभी झगडा नहीं  होता| विभिन्न रंग केवल सौंदर्य के लिए बनाए गए हैं | ) 


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